प्रदेश सरकार जल्द ही महिलाओं के लिए घसियारी योजना शुरू करने जा रही है सहकारिता विभाग की इस योजना को केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा जल्द शुरू किया जाएगा लेकिन योजना के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सवाल खड़े किए हैं हरीश रावत ने कहा कि#घस्यारन एक ऐसा संबोधन है जिसके साथ अतीत की बहुत सारी कटु यादें जुड़ी हुई हैं।
मेरी माँ-बहन उस समय घस्यारन होती थी, जब जमीदारी थी, जब खेत जोतने वाला खैकर सिर्तवान होता था, जिस समय प्रधान नहीं प्रधानचारी थी, थोकदारी थी, मालगुजारी थी, जिस समय रायबहादुरी थी, अंग्रेजों की दी हुई पहचानें थी तो उस समय इन बड़े लोगों के लिए घास काटके लाने वाली को घस्यारन कहा जाता था, पानी भरने वाले को पनिहारन कहा जाता था, लकड़ी लाने वाले को लकड़हारिन कहा जाता था लेकिन धीरे-धीरे जितने हम परिपक्व देश होते गये, ये संबोधन विलुप्त होते गये।।
आज मेरी माँ-बहनों की पहचान एक ऐसे उभरते हुए समूह के रूप में है जो परिक्षाओं में लड़कों को भी पीछे छोड़ दे रही हैं, जो सेना में भी भर्ती हो रही हैं, वायु सेना के जहाज भी चलाने का संकल्प लेकर के आगे बढ़ रही हैं, जो दुनिया के समुद्र को लांघ/पार कर रही हैं, जो बंदूक उठाकर शत्रु पर निशाना साधने के लिए तैयार हैं। आज मेरी माताएं-बहनें राजकीय सेवाओं में पुरूषों के बराबर योगदान देने के लिए तैयार हैं, पुलिस मे मेरी बेटियाँ सत्ता की प्रतीक बनकर के खड़ी हैं, आंगनबाड़ी, भोजनमाता, आशा की बहनों के रूप में हमारे ग्रामीण भारत के, संकल्प के चेहरे को बदल रही हैं, मनरेगा कर्मी के रूप में ग्रामीण नवर्निमाण के राष्ट्रीय संकल्प को आगे बढ़ा रही हैं लेकिन कुछ लोग मेरी माँ-बहनों को घस्यारन का संबोधन देने के लिये बहुत उत्सुक लग रहे हैं। खैर जिसकी लाठी, उसी का बलबला। मेरी माताएं-बहनें टेक होम राशन की और होटल-रेस्ट्रा खोल करके व्यापार के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ा रही हैं, इन क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह के रूप में आगे कदम बढ़ा रही हैं। मेरी आपत्ति महिलाओं के लिये कोई योजना चलाने पर नहीं है, नामकरण पर मेरी आपत्ति अवश्य है। आप प्रत्येक ब्लॉक में कालसी की तर्ज पर चाटन भेली या घटे हुये मूल्य पर चाटन भेली उपलब्ध करवाइए, मैं उसका स्वागत करूंगा।