दसऊ मंदिर में महाराज की ओर से हुआ भण्डारे का आयोजन, संस्कृति मंत्री की पहल पर चालदा महाराज में पहुंचे हजारों श्रद्धालु

दसऊ मंदिर में महाराज की ओर से हुआ भण्डारे का आयोजन,

संस्कृति मंत्री की पहल पर चालदा महाराज में पहुंचे हजारों श्रद्धालु

विकासनगर (देहरादून)।

प्रदेश के संस्कृति, धर्मस्व, पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने हनोल स्थित महासू मंदिर में चल रहे जागडा (देवनायणी) राजकीय मेला पर्व के दूसरे दिन दसऊ स्थित चालदा महाराज में पूजा अर्चना करने के पश्चात अपनी ओर से भण्डारा आयोजित कर श्रृद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया।

सिद्धपीठ महासू देवता मंदिर हनोल में राजकीय जागरा मेला धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। जयकारों और पारंपरिक नृत्य और लोकगीतों की धुन पर झूमते हजारों श्रद्धालुओं ने सोमवार को महासू देवता के दर्शन कर पुण्य कमाया। इस दौरान आयोजित मेले में जौनसार बावर की लोक संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिली। हजारों श्रद्धालुओं ने हनोल मंदिर में रात्रि जागरण कर लोक नृत्य की प्रस्तुति से आराध्य देवता की स्तुति की। मंगलवार को देवता के शाही स्नान के उपरांत देव चिह्नों को गाजे-बाजे के साथ वापस गर्भगृह में स्थापित किया गया।

प्रदेश के संस्कृति, धर्मस्व, पर्यटन, सिंचाई, लोक निर्माण, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने हनोल स्थित महासू मंदिर में चल रहे जागडा (देवनायणी) राजकीय मेला पर्व  के दूसरे दिन मंगलवार को दसऊ स्थित चालदा महाराज में पूजा अर्चना करने के पश्चात अपनी ओर से भण्डारा आयोजित कर श्रृद्धालुओं को प्रसाद भी वितरित किया। दसऊ स्थित चालदा महाराज मंदिर में भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं प्रतिभाग किया। ज्ञात हो कि श्री महाराज पिछले काफी समय से इस आयोजन को सफल बनाने के लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जल्दी ही हनोल स्थित महासू देवता मंदिर का मास्टर प्लान तैयार कर वहां का सुनियोजित विकास किया जायेगा।

जौनसार बाबर के प्रमुख तीर्थ स्थल हनोल मंदिर में पूजा दर्शन के लिए हर वर्ष जांगड़े में हजारों श्रद्धालु आते हैं। इसे देखते हुए श्री महाराज की पहल पर सरकार ने विकासखण्ड कालसी, चकराता,  पुरोला और मोरी क्षेत्र के अंतर्गत कक्षा 1 से 12 तक के सभी शासकीय, अशासकीय एवं निजी विद्यालयों में 18 सितम्बर को एक दिन का अवकाश भी घोषित किया था ताकि अधिक से अधिक श्रृद्धालुओं जागड़े में प्रतिभाग कर सकें।कें।

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