वे जानते हैं कि धामी के पैर जम गए, तो उन्हें अगले 15-20 साल उत्तराखंड की सियासत से कोई हिलाने वाला नहीं है। ओर उन बड़े नेताओं का राजनीतिक भविष्य चौपट हो जाएगा.. इसलिए लगे हैं वह नेता षड्यंत्र करने में…!

वे जानते हैं कि धामी के पैर जम गए, तो उन्हें अगले 15-20 साल उत्तराखंड की सियासत से कोई हिलाने वाला नहीं है। ओर उन बड़े नेताओं का राजनीतिक भविष्य चौपट हो जाएगा.. इसलिए लगे हैं वह नेता षड्यंत्र करने में…!

 

प्रचंड बहुमत की धामी सरकार को महज लगातार अस्थिर करने की साजिशें रचने का काम शुरू हो गया है। इस षड़यंत्र में पक्ष, विपक्ष सब शामिल हैं।
पुष्कर सिंह धामी ने अपने महज छह महीने के पहले कार्यकाल के दम पर उत्तराखंड में दोबारा सरकार बनाने के मिथक को तोड़ा। विधानसभा चुनाव में भी वे अपनी सीटों तक सिमट कर रह जाने वाले बड़े नेताओं की तरह नहीं रहे। बल्कि उन्होंने अपनी सीट को छोड़ कर पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया। इसी का खामियाजा उन्हें अपनी सीट पर हुए जबरदस्त भीतरघात के कारण हुई हार के रूप में भुगतना पड़ा।
इसके बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने उन पर भरोसा जताया और दोबारा कमान सौंपी। कुर्सी संभालते ही उन्होंने ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू किए। कॉमन सिविल कोड, जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाया। देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून बनाया। मजबूत सख्त भू कानून का ड्राफ्ट तैयार कर एक लंबी लकीर खींची। पहली बार किसी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में की गई घोषणा को लागू किया। सरकार ने गरीबों को तीन रसोई गैस सिलेंडर देना सुनिश्चित किया।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के खपलेबाज माफियाओं को जेल की सलाखों के भीतर भेजा। एक दो नहीं, बल्कि 60 से अधिक लोगों को सलाखों के पीछे जेल भेजा। प्रमुख वन संरक्षक और पूर्व सीएम के सलाहकारण रहे आरबीएस रावत जैसे वटवृक्ष को उखाड़ फैंकते हुए जेल भेजा। कन्याल, पोखरिया समेत अन्य भ्रष्ट अफसरों को भी जेल भेजा। संतोष बढ़ोनी को निलंबित किया। इससे पुष्कर धामी के बढ़े कद ने विरोधियों को परेशान कर दिया। इसी बढ़ते कद की काट करने को पक्ष, विपक्ष या कहें ज्यादा पक्ष के विरोधियों ने भर्ती घपले के पूरे विवाद को आयोग से हटा कर विधानसभा की ओर मोड़ने की साजिश रची।
इस पूरे विवाद को तूल देने वाले चंद लोगों के कनेक्शन भी चौंकाने वाले हैं। ये बड़े नाम हमेशा आपदा में अवसर तलाशने की फिराक में रहते हैं। इन्होंने ही विधानसभा भर्ती विवाद में रायता फैलाने का काम किया। एक तीर से सरकार को अस्थिर करने के साथ ही आरएसएस में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने का प्रयास किया। विधानसभा विवाद में पक्ष के तमाम अन्य नेता भी अपने लिए अवसर तलाशने में जुटे। एक को तो बाकायदा बेहद ईमानदार के रूप में मीडिया की एक लॉबी प्रोजेक्ट भी करनी लगी। हालांकि ये प्रोजेक्शन उन्हें भारी पड़ा और उनके परिजनों से जुड़े पुराने भर्ती विवाद एकबार फिर सतह पर आ गए।
इस पूरे मामले में धामी के पक्ष, विपक्ष के सभी विरोधियों को एक ही बात परेशान कर रही है कि यदि पुष्कर धामी के पैर जम गए, तो उन्हें अगले 15-20 साल उत्तराखंड की सियासत से कोई हिलाने वाला नहीं है। ऐसे में तमाम बड़े नेताओं का तो राजनीतिक भविष्य चौपट हो जाएगा। विपक्ष के लिए भी कोई मौका नहीं रहेगा। क्योंकि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, यूपी में योगी आदित्यनाथ और पूर्व में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के रूप में ऐसा हो चुका है। राजस्थान में भी वंसुधरा के कद के नीचे दूसरी पांत पनप नहीं पाई। यही वो वजह है, जो सीएम धामी की मजबूत सरकार को लगातार अस्थिर करने की साजिशें रची जा रही हैं। वो भी उस मौके पर, जब उन्होंने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घपले में शानदार, ऐतिहासिक काम किया है।
नकल माफिया को जेल भेजने, लोक सेवा आयोग से पारदर्शी परीक्षा कराने, देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून बनाने को लेकर जिन युवाओं, बेरोजगारों को सीएम धामी का स्वागत, सम्मान करना चाहिए था, उन्हें ही बरगलाकर विरोधियों ने सड़कों पर उतार दिया। जिस नेता के समय हाकम, आरबीएस रावत, कन्याल सरीखे लोगों को शह मिली, आज वही युवाओं से माफी मांगने का ढोंग कर रहे हैं।
विरोधियों की इस साजिश की केंद्रीय नेतृत्व को भी भनक लग चुकी थी। तभी इन साजिश करने वालों की मंशाओं को किनारे रख केंद्रीय नेतृत्व ने पुष्कर धामी को दोबारा राज्य की बागडौर सौंपी। बदरीनाथ धाम आकर पीएम नरेंद्र मोदी ने अकेले में दो घंटे सीएम धामी से बात कर बड़ा संदेश दिया। इसके कुछ समय बाद बेहद शॉर्ट नोटिस पर संसद भवन में सत्र के दौरान पीएम मोदी ने लंबी मुलाकात का समय दिया। पीएम मोदी जब भी सीएम धामी से मिले, तो दोनों के बीच गजब की बॉडिंग नजर आई। हर मुलाकात में बेहद आत्मीय भाव प्रदर्शित किया। इस तरह पीएम मोदी सार्वजनिक रूप से बार बार सीएम धामी को लेकर बड़ा संदेश देते रहते हैं। अंदरखाने भी सभी को सख्त संदेश भी जारी कर दिया गया है। साफ कर दिया गया है कि फिलहाल कोई अपने मन में किसी भी तरह का कोई विचार भी लाने का प्रयास न करें।

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