■श्रीनगर: सेहरा जिसके सर भी सजे, वही बड़ा कद लेकर जाएगा देहरादून■
श्रीनगर का रण प्रदेश के उन मैदान-ए-जंग में शामिल है जहां वही जंगजू 2022 में भी आमने सामने हैं, जो 2017 में भी एक दूसरे से दो दो हाथ कर चुके हैं। 2017 की जंग के फैसले के बारे में पूर्वानुमान था कि छोटे कद वाले धन दा सभी पर भारी पड़ेंगे, लेकिन इस मर्तबा यहां हुए युद्ध के परिणाम को लेकर कोई भी भविष्यवाणी जोखिमभरी हो सकती है।
गुजरे दिसम्बर में जब 2022 का ऐलान-ए-जंग हुआ था तो स्वाभाविक रूप से यह कयास लगाए जा रहे थे कि गणेश गोदियाल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने व धन सिंह के खिलाफ सत्ता विरोधी असंतोष के चलते गोदियाल आसानी से श्रीनगर के मैदान को मार लेंगे। लेकिन मतदान का दिन आते आते धन दा ने कुशल सियासतदां होने का परिचय देते हुए सभी जरूरी चुनावी खेल खेलते हुए मुकाबले को बराबरी पर ला दिया। गोदियाल के कंधों पर बतौर प्रदेश अध्यक्ष अन्य जिम्मेदारियां होने के चलते वह अपनी विस् में अपेक्षित समय देने में असमर्थ रहे,इसके विपरीत धनदा ने क्षेत्र में ही दिन रात एक किया हुआ था। धनदा को अधिक न सही आंशिक तौर पर मोदी की सभा का लाभ भी मिला होगा, वहीं गोदियाल के नाम उच्चारण को लेकर प्रियंका का टँग स्लिप के चलते विरोधियों को उनपर हमला करने का एक छोटा हथियार भी मिल गया था। हरक की कांग्रेस में वापसी का खास लाभ कहीं भी गोदियाल को मिलता हुआ नजर नही आया। ऐसे में जो मुकाबला कभी गोदियाल की मुट्ठी में नज़र आ रहा था उसकी तस्वीर मतदान तक एक दम जुदा नज़र आई।
अब अंकगणित की बात करें तो 2017 में धनदा ने 30816 वोट किये थे जबकि 22118 मत गोदियाल की झोली में गिरे थे, यानी अंतर साढ़े आठ हजार का था। 2017 में 61 हज़ार के करीब मतदान हुआ था जबकि इस समय करीब 64 हज़ार वोट पड़े हैं। महत्वपूर्ण यह कि पुरुषों के मुकाबले साढ़े पांच हज़ार अधिक महिलाओं ने वोट किया है। जिनपर प्रदेश भर में मोदी मैजिक स्पष्ट नज़र आ रहा था। ऐसे में तय है कि यदि धनदा 2017 के मुकाबले कुछ कम भी होंगे तो गोदियाल को जीत के लिए ईवीएम से पिछले चुनाव के मुकाबले कम से कम 6 हज़ार ज्यादा मत लाने होंगे। वहीं मोहन काला के 2017 के 4854 के आंकड़े में कितना इज़ाफ़ा या कमी आती है, यह भी देखने वाला होगा।
बहरहाल, धनदा जीत का सेहरा पहन कर जाते हैं, तो वह भाजपा के बड़े नेताओं की फेहरिस्त में पहली चार की पायदान पर होंगे, यदि गोदियाल विजयी होते हैं तो कांग्रेस के बहुमत आने की दशा में कुछ भी हो सकता है,क्योंकि संभावित सीएम के दावेदारों के मध्य अभी से छिड़ी रार कोई बीच का रास्ता खोल सकती है, हो न हो उस रास्ते पर गोदियाल फिट बैठ जाएं..
पत्रकार लेखक अजय रावत की फेसबूक वॉल से