
घोड़ा चलाकर मजदूरी को मजबूर 10वीं की छात्रा शोभा, दो दिन काम के बाद तीसरे रोज जाती है स्कूल
घोड़ा चलाकर मजदूरी को मजबूर 10वीं की छात्रा शोभा, दो दिन काम के बाद तीसरे रोज जाती है स्कूल
चम्पावत के लधिया घाटी के बालातड़ी गांव की शोभा भट्ट का घोड़े में सामान लाद कर मजदूरी करना नियति बन चुका है। दिव्यांग पिता और माता के बीमार होने से घर चलाने की जिम्मेदारी दसवीं में पढ़ने वाली शोभा के कंधे पर आ गई है। पढ़ने की उम्र में मजदूरी करने से शोभा की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस वजह से पढ़ाई कर ऊंचा मुकाम हासिल करने का शोभा का सपना भी चकनाचूर हो रहा है।
बालातड़ी गांव की शोभा भट्ट तमाम सरकारों के चलाए जा रहे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे को आइना दिखा रही है। बालातड़ी जीआईसी की छात्रा शोभा बीते दो साल से घोड़े में सामान लाद कर परिवार का भरण पोषण कर रही है। शोभा ने बताया कि उनके पिता हीरा बल्लभ भट्ट घोड़े में सामान लाद कर परिवार चलाते थे। दो साल पूर्व पिता को मिर्गी के दौरे पड़ना शुरू हुए। कई बार इलाज क...