मुख्यमंत्री धामी ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ब्राह्मण, राज्यसभा सांसद ओबीसी कल्पना सैनी, और अब दलित समाज का मोदी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व करेंगे अजय टम्टा

मुख्यमंत्री धामी ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ब्राह्मण, राज्यसभा सांसद ओबीसी कल्पना सैनी, और अब दलित समाज का मोदी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व करेंगे अजय टम्टा

 

 

ये लोक सभा चुनाव उत्तराखंड के लिहाज से अहम है और चुनाव ऐतिहासिक होने के साथ विकसित भारत के निर्माण एवं श्रेष्ठ उत्तराखण्ड की दिशा में आगे बढ़ने का जनादेश रहा, मातृ शक्ति, युवाओं, बुजुर्गों, सैनिकों एवम पूर्व सैनिकों, किसानों, श्रमिकों, सरकारी एवम गैर सरकारी कर्मचारियों समेत समाज के सभी वर्गों ने भाजपा को समर्थन दिया ओर यह जनादेश बताता है कि देश मे प्रधानमंत्री मोदी एवं व राज्य में धामी जनता का दिल जीतने में सफल रहे हैं। 1962 के बाद पहली बार देश में कोई गठबंधन लगातार तीसरी बार जनता का विश्वास जीतने में सफल रहा है। यह जनादेश, देवभूमि की जनता द्वारा राज्य की पांचों सीटों पर कमल खिलाने की हैट्रिक लगाने के लिए भी याद किया जाएगा
यह जनादेश पीएम मोदी के मार्गदर्शन और सीएम धामी के नेतृत्व में राज्य की डबल इंजन सरकार के कामों पर जनता का आशीर्वाद है। तों वहीं राज्य के तीव्र गति से विकास मार्ग पर आगे बढ़ने और देवभूमि का स्वरूप बनाए रखने वाले साहसिक निर्णयों के पक्ष में है, ये डबल इंजन सरकार के कार्यों पर जनता की मुहर है वही राज्य में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिये कड़े साहसिक निर्णयों एवं प्रदेश के हुए चौमुखी विकास पर जनता ने अपनी मुहर लगाकर आशीर्वाद दिया… अब भला जब जनता ने अपना काम पूरा कर दिया हो तो… मोदी सरकार भी कहां पीछे रहने वाली है…. मोदी जी के तो दिल में उत्तराखंड बसता ही है…. और पीएम मोदी उत्तराखंड के सभी वर्गों को साथ लेकर चलते हैं, जो हमें समय-समय पर देखने को मिला है…
उदाहरण के तौर पर रमेश पोखरियाल निशंक , अजय भट्ट, उससे पहले जनरल बीसी खंडूरी , अजय टम्टा और फिर अजय टम्टा
जी हा अब मोदी मंत्रिमंडल में एक बार फिर से मंत्री बनने वाले उत्तराखंड के पहले दलित नेता का नाम अजय टम्टा है
उत्तराखंड में वैसे तो राजनीति ठाकुर और ब्राह्मण पर ही केंद्रित दिखाई देती रही है..शायद यही कारण है कि राज्य स्थापना के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर ठाकुर और ब्राह्मण ही चुने जाते रहे हैं. प्रदेश में लगभग 35% ठाकुर मौजूद हैं जबकि 26 फीसदी आबादी ब्राह्मणों की मानी जाती है. लेकिन राज्य में कुछ समीकरण ऐसे भी हैं जहां दलित समाज के लोग निर्णायक भूमिका में आ जाते हैं.

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उत्तराखंड में दलित वोटर्स का आंकड़ा…

उत्तराखंड में दलित समाज की संख्या करीब 20% आकलन की गई है
सबसे ज्यादा दलित वोटर्स हरिद्वार जिले में रहते हैं

पांच लोकसभा सीट में से अल्मोड़ा की सीट आरक्षित है

विधानसभा सीटों के लिहाज से राज्य में 13 सीटें हैं आरक्षित

22 विधानसभा सीटों में दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में मौजूद हैं

10 पर्वतीय जिलों में करीब 11 प्रतिशत दलित वोटर्स मौजूद

राज्य में 3 मैदानी जिलों में 9 प्रतिशत दलित वोटर्स है.

मगर भारतीय जनता पार्टी सभी वर्गों का साथ देकर चलती है ओर वे दलित समाज के अहम योगदान को भी समझती है
डबल इंजन की सरकार और भारतीय जनता पार्टी समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलती है. कुल मिलाकर देखा जाए तो धामी सरकार हो या मोदी सरकार ने जो विभिन्न योजनाएं निकाली हैं या फिर जिन कार्यों को लेकर प्रयास किया जा रहा है.. उनमें सबके साथ सबका विकास झलकता है…..
आज अगर आप समीकरण देखेंगे तो मोदी धामी की सरकार ने हर वर्ग को साथ लेकर काम किया है और साथ चलीं है. और बराबर हर वर्ग की अपनी-अपनी भागीदारी है डबल इंजन की सरकार में है ..

मुख्यमंत्री धामी ठाकुर है… महेंद्र भट्ट ब्राह्मण है… और वह इस समय राज्यसभा सांसद और प्रदेश अध्यक्ष है. ओबीसी से इस समय राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी आती है.. वहीं राज्यसभा सांसद नरेश बंसल भी हैं जो बनिया समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और दलित समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए मोदी मंत्रिमंडल में अजय टम्टा चले गए हैं …. तो क्यों ना कहें सबका साथ सबका विकास और सब का नेतृत्व….. और सभी समाज के लिए बराबर बनती हैं विकास की योजनाएं.. ओर इस वजह से आज उत्तराखंड में व्यापार, विकास और विश्वास का नया माहौल मुख्यमंत्री धामी ने बनाया है…
बाकी जहां तक हम भाजपा की रणनीति को समझते हैं, भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना को लेकर आगे बढ़ती है.. कार्य करती है…… अगर आप गौर करेंगे तो… राज्य में हर जाती है और समीकरण के लिहाज़ से भी… हर वर्ग का कोई ना कोई सदस्य मोदी धामी की सरकार में शामिल है… और उनके शामिल होने का मतलब होता है अपने-अपने वर्ग का प्रतिनिधित्व करना जो मोदी और धामी सरकार में हीं संभव है… क्योंकि यह डबल इंजन की सरकार… बिना भेदभाव के बिना मतभेद के .. सिर्फ और सिर्फ.
राष्ट्र प्रथम.. संगठन द्वितीय और व्यक्ति अंतिम.. की भावना को लेकर कार्य करती है.

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