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रोजगार ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के आधारभूत ढांचे को विकसित करने में भी औद्योगिक निवेश अत्यंत आवश्यक , इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये ’’ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’’ हों रहा आयोजित

आगे बढ़ता उत्तराखंड : आज उत्तराखण्ड विश्वस्तरीय पसंदीदा पर्यटन गंतव्य बन रहा है,पर्यटकों और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध सड़क, रेल, हवाई कनेक्टिविटि पर फोकस

रोजगार ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के आधारभूत ढांचे को विकसित करने में भी औद्योगिक निवेश अत्यंत आवश्यक , इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये ’’ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’’ हों रहा आयोजित

 

लन्दन एवं बर्मिंघम के रोड शो के दौरान 20 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त मतलब देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी उद्यमी उत्तराखंड में निवेश करने के लिए उत्साहित : धामी

 

दिसंबर में उत्तराखंड में प्रस्तावित इन्वेस्टर समिट के आयोजन को लेकर दिल्ली में रोड शो का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश में एक साल के अंदर 10 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री के इस विजन को साकार करने में हम भी निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विगत माह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जी 20 देशों के सम्मेलन की मेजबानी द्वारा वैश्विक नेताओं को देश के समृद्ध इतिहास, संस्कृति एवं गतिशील अर्थव्यवस्था से परिचित कराने में मदद मिली। उत्तराखण्ड को भी जी 20 की तीन बैठकें आयोजित करने का अवसर मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके इंग्लैंड भ्रमण के दौरान वहां के पर्यटन मंत्री द्वारा इस सम्मेलन की सफलता बयान की। जी 20 के सफल आयोजन से हमें भी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की प्रेरणा मिली।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वाइब्रेंट गुजरात की भांति उत्तराखण्ड में ऐसी शुरुआत की गई है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा उत्तराखण्ड को औद्योगिक पैकेज स्वीकार किये जाने से राज्य में औद्योगिक वातावरण के सृजन में मदद मिली। 2014 से पूर्व के कुछ वर्षों में यद्यपि इसमें कुछ व्यवधान रहा किन्तु 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास हो रहा है तथा 1.50 लाख करोड़ की विभिन्न योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा आज उत्तराखण्ड विश्वस्तरीय पसंदीदा पर्यटन गंतव्य बन रहा है। अब तक राज्य में 44 लाख लोग चार धाम यात्रा पर आ चुके हैं। कांवड़ यात्रा में इस वर्ष 4.15 करोड़ शिवभक्त आये जबकि गत वर्ष यह संख्या 3.75 करोड़ रही थी। पर्यटन सीजन में राज्य के सभी होटल, होम स्टे आदि की फुल बुकिंग रही, यह राज्य के पर्यटन के लिये निश्चित रूप् से शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास पर्यटकों और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना है, इसके लिये सड़क, रेल, हवाई कनेक्टिविटि आदि पर ध्यान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रोजगार ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के आधारभूत ढांचे को विकसित करने में भी औद्योगिक निवेश अत्यंत आवश्यक है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हमने उत्तराखंड में ’’ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’’ आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से लन्दन एवं बर्मिंघम के रोड शो के दौरान 400 से अधिक उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से 20 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, उससे यह सिद्ध होता है कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी उद्यमी उत्तराखंड में निवेश करने के लिए उत्साहित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ हमारा प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो कम्पोनेन्ट विनिर्माण, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे अनेकों क्षेत्रों में निवेश हेतु औद्योगिक जगत का एक पसंदीदा स्थल भी है।

राज्य में लाइसेंस आदि के अनुमोदनों के लिए ’’सिंगल विंडो सिस्टम’’ की व्यवस्था में सुधार किया गया है। इस आयोजन हेतु राज्य के लिये फोकस सैक्टरों की पहचान की है जिनमें राज्य के पारम्परिक क्षेत्रों जैसे पर्यटन, आयुष, वेलनेस, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटोमोबाईल्स, फार्मा के साथ-साथ वैकल्पिक ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं। इन फोकस सैक्टर्स की आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु भूमि और आधारभूत संरचनाओं की पहचान की है, जिसके अंतर्गत राज्य में 6 हजार एकड़ से अधिक के एक विशिष्ट लैंड बैंक की स्थापना की गई है। इन सैक्टर्स में निवेश योग्य परियोजना प्रस्ताव भी साथ-साथ तैयार किये जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निवेशकों के पास राज्य में विभिन्न निवेश अवसरों का आकलन करने हेतु एक विशिष्ट रेफरेंस उपलब्ध हो।
सरकार द्वारा मजबूत नीतिगत ढांचे में निवेशक हितेशी नीतियां बनाने के लिए विगत 4 माह में 27 से अधिक नीतियों को या तो बनाया गया है या नवीनीकृत किया गया है। जिनमें पर्यटन नीति-2023, डैडम् नीति-2023, स्टार्टअप नीति-2023, लॉजिस्टिक्स नीति-2023 आदि शामिल हैं।

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न्याय की जीत का युद्ध था:धामी उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ-साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है:धामी 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था: धामी प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन के अनुरूप देहरादून में पांचवे धाम सैन्य धाम का निर्माण कार्य प्रगति पर : धामी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जवानों का मनोबल तेजी से बढ़ा है: धामी सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बने, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो: धामी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को गांधी पार्क, देहरादून में विजय दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। विजय दिवस पर मुख्यमंत्री ने भूतपूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया। विजय दिवस के अवसर पर आयोजित निबंध एवं कला प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि सैनिक आश्रितों को भर्ती पूर्व दिये जाने वाले प्रशिक्षण के दौरान भोजन व्यवस्था के लिए प्रतिदिन दी जाने वाली धनराशि 80 रूपये से बढ़ाकर 225 रूपये प्रति प्रशिक्षणार्थी की जायेगी राज्य के गढ़वाल और कुमांऊ मण्डल में सैनिक आश्रित युवाओं को सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा 56 दिनों का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का उत्सव मनाने का दिन है। 1971 का युद्ध अमानवीयता पर मानवता, दुराचार पर सदाचार और अन्याय पर न्याय की जीत का युद्ध था। आज ही के दिन वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेके थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। यह युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ-साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। इस युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिक विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित हुए थे। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन के अनुरूप देहरादून में पांचवे धाम सैन्य धाम का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह धाम उन सभी वीरों को हमारी ओर से एक विनम्र श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना तिरंगे की शान के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। यह सैन्य धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्र आराधना के एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जवानों का मनोबल तेजी से बढ़ा है। आज हमारे सैनिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, उनकी सहायता और सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। आज हमारे सैनिकों का मनोबल इतना ऊंचा है कि वो दुश्मन के घर में घुस कर उस पर कार्रवाई करने में समर्थ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में उनका प्रयास रहता है कि सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बने, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सैनिकों और उनके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड के वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को देय एकमुश्त अनुदान राशि में भी वृद्धि की है। जिसके तहत परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिक को 30 लाख से 50 लाख, महावीर चक्र 20 लाख से 35 लाख, कीर्ति चक्र 20 लाख से 35 लाख, वीर चक्र और शौर्य चक्र 15 से 25 लाख और सेना गेलेन्ट्री मेडल 07 लाख से 15 लाख करने को मंजूरी दी गई। उत्तराखण्ड से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की वीरांगनाओं एवं वेटरन की पेंशन प्रतिमाह 8 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये की है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी विधवाओं की प्रतिमाह पेंशन 21 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई है। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, जिलाधिकारी देहरादून सोनिका, एसएसपी अजय सिंह, निदेशक सैनिक ब्रिगेडियर कल्याण अमृत लाल (से.नि), मेजर जनरल सम्मी सबरवाल(से.नि), रियर एडमिरल ओ.पी.सिंह राणा(से.नि), ब्रिगेडियर के.जी बहल(से.नि) एवं पूर्व सैन्य अधिकारी और वीरांगनाएं उपस्थित थे।


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