2022 के लिये उत्तराखण्ड में अबकी बार युवा सरकार का नारा देने वाली भाजपा अपनी ही बात से पलट गई संभवतः UP इफेक्ट से उत्तराखण्ड में भाजपा डरी हुई है लिहाजा युवाओं की अपेक्षा वही पुराने अनुभवी नेताओं को ही पार्टी ने अपना सहारा बनाया है। भाजपा में टिकटों के अब तक के बंटवारे को देखकर सहज हि अंदाजा लगाया जा रहा है कि निश्चित हि भाजपा उत्तराखण्ड में कांग्रेस या यूं कहें कि हरिश रावत जैसे बड़े नाम से डरी हुई है
क्योंकि UP में तो भाजपा में बगावत के बाद भी डैमेज कंट्रोल के लिये CM योगी, केशव प्रसाद मोर्या, दिनेश शर्मा जैसे बड़े नाम हैं लेकिन उत्तराखण्ड में भाजपा में इस वक़्त कोई बड़ा नेता फ्रंट पर नहीं है CM धामी हो या अध्यक्ष मदन कोशिक या अन्य इनका वो कद नहीं है जो हरिश रावत का है उपर से अपनी अपनी सीटों को जीतने का दबाव अलग है क्योंकि इनकी खुद कि सीटों पर भी हालात सही नहीं है ऐसे में CM और अध्यक्ष अपनी ही सीट नहीं बचा पाये तो पार्टी कि नाक कटनी निश्चित है उपर से केंद्र से भी भाजपा ने किसी बड़े कद्दावर नेता को चुनावी ज़िम्मेदारी के लिये उत्तराखण्ड नहीं भेजा है।
लिहाजा अब उत्तराखण्ड में भाजपा का डर स्वाभाविक है। हालांकि उत्तराखण्ड में भाजपा के पास निशंक व त्रिवेंद्र जैसे बड़े नाम जरूर है लेकिन फिलहाल वो मुख्य धारा में तो दिख रहे हैं लेकिन फिर भी दूरी साफ दिखाई दे रही है। अब ये टिकटो का बंटवारा योजनाबद्ध है या ये ही भाजपा के गले कि फांस बनेगा ये प्रदेश कि जनता तय करेगी।