“कौन जिया है, तेरे जुल्फों के सर होने तक”,
टनकपुर-बागेश्वर-रामनगर-चौखुटिया रेलवे लाइन पर एक कवि की ये लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं
चुनाव सामने देखकर मुख्यमंत्री घोषणा कर रहे हैं कि सर्वे के लिये 38 करोड़ रुपया मंजूर हो गया है
क्या ये निर्माण के लिए सर्वे है! या वैसे ही सर्वे है जैसे लगभग आधा दर्जन सर्वेज अतीत में भी हो चुके हैं। सत्यता यह है कि टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन का निर्माण कार्य, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे_लाइन के साथ राष्ट्रीय परियोजना के रूप में हुआ था अर्थात इन रेलवे लाइनों का बजट, रेलवे विभाग के बजट से नहीं बल्कि भारत के राजकीय कोष से वहन किया जाएगा।
NDA सरकार ने राष्ट्रीय परियोजना के कांसेप्ट को खत्म कर दिया और टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन का सपना भी उसके साथ धड़ाम हो गया।
अब तो एक राजनैतिक खिलौना मात्र हमको दिखाया जा रहा है और वो भी रेल मंत्री द्वारा नहीं, प्रधानमंत्री द्वारा नहीं बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा, मुख्यमंत्री अभी उम्र बहुत है, यह मजाक महंगा साबित होगा।