एक अक्टूबर को वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली की मूर्ति का करेंगे अनावरण शहीद सैनिकों एवं वीर चन्द्र सिंह के परिजनों को सम्मानित करेंगे रक्षा मंत्री

 

*पीठसैंण में राजनाथ सिंह के स्वागत की तैयारियां जोरों पर*

एक अक्टूबर को वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली की मूर्ति का करेंगे अनावरण

शहीद सैनिकों एवं वीर चन्द्र सिंह के परिजनों को सम्मानित करेंगे रक्षा मंत्री

*कार्यक्रम में लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी टीम के साथ देंगे सांस्कृतिक प्रस्तुति*

पौड़ी गढ़वाल, 28 सितम्बर 2021

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक अक्टूबर को पेशावर कांड के नायक एवं स्वाधीनता संग्राम सेनानी वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के पैतृक गांव पीठसैंण पौड़ी गढ़वाल आयेंगे। उनके स्वागत को लेकर पीठसैंण में तैयारियां जोरों पर है। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की पुण्य तिथि पर केन्द्रीय रक्षा मंत्री उनकी स्मृति में मूर्ति का अनावरण एवं स्मारक का लोकार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके साथ ही राजनाथ सिंह शहीद सैनिकों के परिजनों एवं वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को भी सम्मानित करेंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, गढ़वाल सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान कहा कि पेशावर कांड के नायक रहे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का स्वाधीनता संग्राम में अहम योगदान रहा है। उनके योगदान को चिर स्मरणीय बनाये रखने के लिए आगामी एक अक्टूबर को वीर चन्द्र सिंह की पुण्य तिथि पर श्रीनगर विधानसभा के अंतर्गत पीठसैंण में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शिरकत करेंगे। डॉ. रावत ने बताया कि केन्द्रीय रक्षा मंत्री पीठसैंण में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली की स्मृति में उनकी मूर्ति का अनावरण एवं स्मारक का लोकार्पण करेंगे। इसके अलावा राजनाथ सिंह देश की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों के परिजनों एवं वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के परिजनों को भी सम्मानित करेंगे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को लेकर स्थानीय लोगों भारी उत्साह है जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही है। केन्द्रीय रक्षा मंत्री के स्वागत में उत्तराखंड के ख्याति प्राप्त लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी अपनी टीम के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति देंगे।

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न्याय की जीत का युद्ध था:धामी उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ-साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है:धामी 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था: धामी प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन के अनुरूप देहरादून में पांचवे धाम सैन्य धाम का निर्माण कार्य प्रगति पर : धामी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जवानों का मनोबल तेजी से बढ़ा है: धामी सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बने, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो: धामी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को गांधी पार्क, देहरादून में विजय दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। विजय दिवस पर मुख्यमंत्री ने भूतपूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया। विजय दिवस के अवसर पर आयोजित निबंध एवं कला प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को भी मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि सैनिक आश्रितों को भर्ती पूर्व दिये जाने वाले प्रशिक्षण के दौरान भोजन व्यवस्था के लिए प्रतिदिन दी जाने वाली धनराशि 80 रूपये से बढ़ाकर 225 रूपये प्रति प्रशिक्षणार्थी की जायेगी राज्य के गढ़वाल और कुमांऊ मण्डल में सैनिक आश्रित युवाओं को सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा 56 दिनों का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का उत्सव मनाने का दिन है। 1971 का युद्ध अमानवीयता पर मानवता, दुराचार पर सदाचार और अन्याय पर न्याय की जीत का युद्ध था। आज ही के दिन वर्ष 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेके थे। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी भी सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था। यह युद्ध भारत के वीरों के अटल संकल्प और बलिदान का प्रत्यक्ष उदाहरण था। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि, देवभूमि होने के साथ-साथ पराक्रम और बलिदान की भूमि भी है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरभूमि उत्तराखंड के 255 जवानों ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। इस युद्ध में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिक विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित हुए थे। ऐसे सभी वीरों के बलिदान की अमर गाथाएं आज भी हमारे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन के अनुरूप देहरादून में पांचवे धाम सैन्य धाम का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह धाम उन सभी वीरों को हमारी ओर से एक विनम्र श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना तिरंगे की शान के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। यह सैन्य धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्र आराधना के एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जवानों का मनोबल तेजी से बढ़ा है। आज हमारे सैनिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, उनकी सहायता और सुरक्षा के लिए विश्व स्तरीय उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। आज हमारे सैनिकों का मनोबल इतना ऊंचा है कि वो दुश्मन के घर में घुस कर उस पर कार्रवाई करने में समर्थ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में उनका प्रयास रहता है कि सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बने, जिससे एक सैनिक को युद्ध में लड़ते समय अपने परिवार की चिंता न हो। राज्य सरकार प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सैनिकों और उनके परिवार को मिलने वाली सुविधाओं में वृद्धि करने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड के वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को देय एकमुश्त अनुदान राशि में भी वृद्धि की है। जिसके तहत परमवीर चक्र से सम्मानित सैनिक को 30 लाख से 50 लाख, महावीर चक्र 20 लाख से 35 लाख, कीर्ति चक्र 20 लाख से 35 लाख, वीर चक्र और शौर्य चक्र 15 से 25 लाख और सेना गेलेन्ट्री मेडल 07 लाख से 15 लाख करने को मंजूरी दी गई। उत्तराखण्ड से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों की वीरांगनाओं एवं वेटरन की पेंशन प्रतिमाह 8 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये की है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी विधवाओं की प्रतिमाह पेंशन 21 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की गई है। इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र चौधरी, जिलाधिकारी देहरादून सोनिका, एसएसपी अजय सिंह, निदेशक सैनिक ब्रिगेडियर कल्याण अमृत लाल (से.नि), मेजर जनरल सम्मी सबरवाल(से.नि), रियर एडमिरल ओ.पी.सिंह राणा(से.नि), ब्रिगेडियर के.जी बहल(से.नि) एवं पूर्व सैन्य अधिकारी और वीरांगनाएं उपस्थित थे।

कार्यक्रम में सहकारिता विभाग के अंतर्गत संचालित दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत महिला समूहों को रूपये पांच लाख तक के ब्याज मुक्त ऋण के चैक भी वितरित किये जायेंगे। साथ ही क्षेत्रीय विकास के लिए समर्पित राठ विकास अभिकरण के तत्वाधान में क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं को घस्यारी किट का वितरण किया जायेगा। डॉ. रावत ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं की रोजमर्रा की आवश्यताओं को देखते हुए घसियारी किट दो कुदाल, दो दारांती, रस्सी, एक टिफिन बॉक्ट, पानी की बोतल और एक किट बैग दिया जा रहा है, ताकि ग्रामीण महिलाएं अपनी आवश्यकतानुसार इनका इस्तेमाल कर सकें।

कौन थे ‘गढ़वाली’
वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली का जन्म 25 दिसम्बर, 1891 ई० में पीठसैंण के निकट रोणैसेर ग्राम (पौड़ी गढ़वाल) के एक साधारण कृषक जथली सिंह के घर में हुआ था। उन्होंनें प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव के आस-पास के गाँवों में ही अर्जित की और 11 सितम्बर 1914 को लैंसडौन छावनी में 2/36 गढ़वाल राइफिल्स में भर्ती हो गये। सन् 1926 ई० में महात्मा गांधी के कुमाऊँ में आगमन पर वह गांधी जी से मिलने बागेश्वर गये और गांधी जी के हाथ से टोपी लेकर पहनी और उसकी कीमत चुकाने का प्रण किया। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान पेशावर में जब पठान लोग आंदोलन कर रहे थे तब अंग्रेज अफसर रिकेट ने हुक्म दिया, “गढ़वाली श्री राउण्ड फायर”, अर्थात् गढ़वाली तीन राउण्ड गोली चलाओ । हवलदार चन्द्रसिंह रिकेट की बायीं ओर खड़े थे। उन्होंने रिकेट के हुक्म के तुरन्त बाद हुक्म दिया , “गढ़वाली सीज फायर” अर्थात् गढ़वा ली गोली मत चलाओ। सैनिकों ने चन्द्रसिंह का ही हुक्म माना और जुलूस की ओर बन्दूकें नीचे जमीन पर खड़ी कर दी। चन्द्रसिंह ने रिकेट से कहा “हम निहत्थों पर गोली नहीं चलाते।” इसके पश्चात् साठ गढ़वालियों पर बगावत का आरोप लगाया गया। 12 जून, 1930 ई० की रात को चन्द्रसिंह एवटाबाद जेल में भेज दिये गये। जेल से रिहा होने के पश्चात गढ़वाली स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े। 1948 ई० में उन्होंनें टिहरी आन्दोलन का नेतृत्व किया। 1 अक्टूबर 1979 को चन्द्रसिंह गढ़वाली का लम्बी बिमारी के बाद देहान्त हो गया।

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