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रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से सरकार की धुआं मुक्त उज्जवला योजना हो रही है सफल जाने पूरी ख़बर

रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से सरकार की धुआं मुक्त उज्जवला योजना हो रही है सफल जाने पूरी ख़बर

 

 

 

महिलाओं को लकड़ी के चूल्हे के धुएं से निजात दिलाने के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई। रसोई गैस सिलिंडर के बढ़ते दामों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गरीब परिवारों को मुफ्त सिलिंडर तो दे दिए गए, लेकिन गैस के दाम बढ़ने से लाभार्थी इन्हें रीफिल नहीं करा पा रहे हैं। जिले में उज्ज्वला योजना के 1,4,512 लाभार्थी हैं। सब्सिडी भी बंद होने से उज्ज्वला योजना के ज्यादातर लाभार्थी ने फिर सिलिंडर नही भरवाया।
उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त घरेलू गैस के कनेक्शन बांटे गए थे। कोरोनाकाल में तीन सिलिंडरों की मुफ्त रीफिल किया गया। अप्रैल में गैस सब्सिडी बंद होने और दिसंबर के बाद कीमतों में अचानक लगी आग ने गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए दो वक्त की रोटी बनाना मुश्किल कर दिया। महंगाई के चलते बड़ी तादाद में उपभोक्ता सिलिंडर नहीं भरवा पा रहे हैं। महंगाई और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने सरकार की धुआं मुक्त भारत की योजना को भी पलीता लगा दिया है। काफी परिवारों ने महंगाई के कारण गैस के चूल्हे के स्थान पर लकड़ी और कोयले का चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है। उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले आदत डाल दी और अब गैस मंहगी कर दी। लकड़ी जुटाना मुश्किल हो रहा है। दो साल पहले तक रसोई गैस प्रति सिलिंडर पर मिलने वाली सब्सिडी 397 रुपये से कम होकर मध्य जुलाई तक 15.14 पैसा प्रति सिलिंडर रह गई है। इसका सबसे ज्यादा असर उज्ज्वला गैस के उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। अधिकांश लोग सिलिंडर ही नहीं भरवा रहे। रसोई गैस सिलेंडर की वर्तमान में 853 रुपये कीमत है

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