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कृषि कानूनों के विरोध में उत्तराखंड के किसानों की महापंचायत तीन फरवरी को होगी।

कृषि कानूनों के विरोध में उत्तराखंड के किसानों की महापंचायत तीन फरवरी को

कृषि कानूनों के विरोध में उत्तराखंड के किसानों की महापंचायत तीन फरवरी को होगी। किसान संगठनों ने बैठक आयोजित कर महापंचायत को अंतिम रूप दिया। संगठन के पदाधिकारियों ने अधिक से अधिक किसानों से महापंचायत में पहुंचने की अपील की है। इस महापंचायत कर किसान आंदोलन की आगे की रणनीति तय करेंगे। महापंचायत में भाकियू टिकैत के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत भी शामिल होंगे।
रविवार को लिब्बरहेड़ी गांव में आयोजित बैठक में उत्तराखंड के किसान संगठनों ने बैठक कर महापंचायत की तारीख का एलान किया। बैठक में तय किया गया कि महापंचायत आगामी तीन फरवरी को मंगलौर गुड़ मंडी में दोपहर 12 बजे होगी। इस दौरान किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने महापंचायत में किसानों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की। किसान संगठन के नेताओं ने कार्यकर्ताओं से महापंचायत को सफल बनाने के लिए जनसंपर्क अभियान चलाने का भी आह्वान किया।

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि तीन फरवरी को महापंचायत में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड़ ने कहा कि उत्तराखंड के किसान एकजुट होकर अपने हकों की लड़ाई लड़ेंगे और जो किसानों की आवाज को दबाने का काम करेगा, उससे भी निपटा जाएगा।
किसान मजदूर संगठन के पदम सिंह भाटी, अखिल भारतीय किसान संगठन के रामपाल सिंह ने भी बैठक को संबोधित किया और ज्यादा से ज्यादा किसानों के महापंचायत में पहुंचने का आह्वान किया। सभी किसान संगठनों ने कहा कि तीन फरवरी को एकजुट होकर उत्तराखंड के किसान अपनी ताकत दिखाने के काम करेंगे। महापंचायत में हीआगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। महापंचायत में भाकियू टिकैत के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत भी शामिल होंगे। इस अवसर पर रवि कुमार, ओमप्रकाश, महकार सिंह, बालेन्द्र, धमेंन्द्र, जनक सिंह, राममूर्ति आदि मौजूद रहे।

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किसान संगठनों ने डाला लोटे में नमककभी जिले में एक या दो ही किसान संगठन हुआ करते थे। ऐसे में किसी भी आंदोलन में किसानों की संख्या खुद बढ़ जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में किसान संगठनों में कुछ अपवादाें के चलते दो फाड़ हो चुके हैं। इससे जिले में आधा दर्जन से अधिक किसान संगठन बन चुके हैं। हालांकि कहीं न कहीं सभी संगठनों का अपना अस्तित्व है। हर संगठन के पीछे किसानों की भी बड़ी संख्या जुड़ी है। समय समय पर हर संगठन किसानों से जुड़े मुद्दों पर अपने स्तर पर आंदोलन भी करते आए हैं।
वहीं दिल्ली में किसान आंदोलन का प्रदेश के किसान संगठनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लिब्बरहेड़ी में हुई संगठनों की बैठक में सभी किसान संगठन के पदाधिकारियों ने एक सुर में बात की। इसका फायदा ये हुआ कि संगठनों ने आपसी मतभेद भुलाते हुए एक होकर किसानों की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया। उकिमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड़ और भाकियू (टिकैत) के जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री ने बताया कि किसान संगठनों के नेताओं ने एकजुट होकर लोटे में नमक डालकर एकजुट होकर आंदोलन करने का संकल्प लिया। इसके बाद किसान संगठनों की ताकत बढ़ती तय मानी जा रही है।

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