त्रिवेंद्र तेरे राज में : उत्तराखण्ड समूचे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसा राज्य है जो अपने प्रदेश के समस्त नागरिकों (लगभग 25 लाख परिवार) को ‘अटल आयुष्मान योजना’ के तहत स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दे रहा है।

जरूरतमंदों के लिए वरदान बनी अटल आयुष्मान योजना

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दो साल पहले की ही तो बात है, जब उपचार बेहद महंगा होने के कारण गरीब तबके के मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। अब वो समय है कि बीमार होते ही गरीब पूरे अधिकार के साथ सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में अपना उपचार करवाता है, वो भी मुफ्त में। ऐसा संभव हो पाया है जनता को स्वास्थ्य सुरक्षा गारंटी देने वाली सरकार की अटल आयुष्मान योजना से। समाज के पिछड़े और असहाय तबके के लिए तो यह योजना वरदान साबित हुई है। उत्तराखण्ड में बीते दो साल की अवधि में 2 लाख से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई की स्मृति में शुरू की गई इस योजना को आज दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम माना जाता है। पूरे देश में 25 दिसंबर 2018 को इस योजना की जब शुरूआत हुई तो उत्तराखंड के गरीब तबके के करीब 5.25 लाख लोगों को इसमें शामिल किया गया लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस योजना की अहमियत को समझते हुए हर उत्तराखंडी को इसका लाभ देने का फैसला लिया। नतीजा, आज उत्तराखंड की समस्त जनता इस कल्याणकारी योजना से आच्छादित है। योजना के तहत राज्य व राज्य से बाहर के सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में कहीं भी लोग पांच लाख रूपए तक का अपना व परिजनों का निशुल्क इलाज करा सकते हैं। आज इस योजना में लोग कैंसर, हार्ट, गुर्दा रोग जैसी जटिल बीमारियों का मुफ्त इलाज करा रहे हैं। उत्तराखण्ड समूचे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसा राज्य है जो अपने प्रदेश के समस्त नागरिकों (लगभग 25 लाख परिवार) को ‘अटल आयुष्मान योजना’ के तहत स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दे रहा है। तमाम गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को इस योजना के लाभ से नई जिंदगी मिली है। ऐसा कोई गांव, कस्बा या शहर नहीं जहां इस योजना का लाभान्वित व्यक्ति न मिले। योजना से मिली नई जिंदगी के बदले हजारों हाथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के लिए दुआ मांगने को उठते हैं। दो सालों में योजना की सफलता के आंकड़े खुद में बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। इस अवधि में (बीते 21 दिसंबर 2020 तक) 2,24,661 मरीज इसमें अपना इलाज करा चुके हैं। उनके इलाज पर राज्य सरकार ने तकरीबन 230 करोड़ रूपए खर्च किए। इनमें जटिल रोगों मसलन कार्डिओलॉजी से संबंधित 4142 तो सीटीवीएस में 617, कैंसर के 14038, यूरोलॉजी के 4456 व बर्न से जुड़े 265 लोगों का इलाज इस योजना में हुआ है। वहीं, राज्य में अब तक 40 लाख से ज्यादा लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं।

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योजना के खास बिंदु _

-राज्य के लोगों को इस योजना में नेशनल पोर्टिबिलिटी की सुविधा दी गई है

-देश के 22 हजार से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों में राज्यवासियों को कैशलेस उपचार की सुविधा

-उत्तराखंड में 99 प्रतिशत लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड आधार से लिंक कर दिए गए हैं

-योजना का लाभ लेने वाले कुल मरीजों की संख्या 2,24,661 है जबकि इनके इलाज पर लगभग 230 करोड़ रूपए व्यय किया गया

-प्रदेश की संपूर्ण आबादी को कैशलेस उपचार प्रदान करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य

-उपचार पर व्यय की धनराशिका सूचीबद्ध अस्पतालों को सात दिन में किया जा रहा है भुगतान।

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