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बोले पूर्व सीएम हरीश रावत अहंकार से चूर सत्ता ने उन तीन काले कानून, जो किसानों का गला घोंट रहे थे, उन्हें वापस ले लिया है ये किसान भाइयों की जीत है, लोकतंत्र की ज़ीत है

बोले पूर्व सीएम हरीश रावत अहंकार से चूर सत्ता ने उन तीन काले कानून, जो किसानों का गला घोंट रहे थे, उन्हें वापस ले लिया है ये किसान भाइयों की जीत है, लोकतंत्र की ज़ीत है

देहरादून।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया तो किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
उन्होंने केंद्र सरकार का आभार जताया तो वहीं इसको लेकर राजनेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव संचालन अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने किसानों को बधाई दी और इसे लोकतंत्र की जीत बताया।
बता दे कि कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में प्रदर्शन होता रहा है इससे उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां के कुछ हिस्सों में किसान आंदोलन को समर्थन मिला और किसानों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया। उन्होंने इसे काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग की। पूर्व सीएम हरीश रावत भी कृषि कानून को लेकर पहले से ही भाजपा सरकार पर हमलावर रहे। उन्होंने इस फैसले पर खुशी जताई।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अहंकार से चूर सत्ता ने उन तीन काले कानून, जो किसानों का गला घोंट रहे थे, उन्हें वापस ले लिया है।
ये किसान भाइयों की जीत है। उन 700 से अधिक किसान (शहीदों )की जीत है, जिन्होंने अपने प्राण दिए, ताकि उनको जीत हासिल हो। उन्होंने किसानों को इस जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा हम इसे लोकतंत्र की जीत मानते हैं, क्योंकि सत्ता का अहंकार जनता के संघर्ष के सामने झुका है।
कृषि कानून वापसी के ऐलान पर बोले हरीश रावत, ये है लोकतंत्र की जीत; जनता के संघर्ष के सामने झुकी सत्ता

यह भी पढ़ें -  मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से संबंधित व्यक्ति यदि धार्मिक भेष का दुरुपयोग कर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करता है, तो उस पर कानून के तहत कठोरतम कार्रवाई होगी।


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