सही खबर यही है : पूर्व सीएम त्रिवेंद्र व सांसद बलूनी की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार भ्रामक व तथ्यहीन
पुलिस मुख्यालय ने त्रिवेंद्र-बलूनी की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार का खंडन किया
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र व सांसद अनिल बलूनी की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार भ्रामक व तथ्यहीन-पुलिस मुख्यालय
देहरादून।
इलेक्ट्रॉनिक चैनल व सोशल मीडिया में पूर्व सीएम – सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत व सांसद अनिल बलूनी की वाई प्लस सुरक्षा हटाने सम्बन्धी समाचार के वॉयरल होने से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया।
मौजूदा समय में दोनों सांसद संसद के सत्र की वजह से दिल्ली में मौजूद हैं। उनकी ओर से इस मुद्दे पर निजी प्रतिक्रिया अभी तक आई नहीं है..
वही इस समाचार के प्रसारण के बाद पुलिस मुख्यालय के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी ने खबर को बेबुनियाद बताते हुए तथ्य पेश किए। और कहा कि वर्तमान में शासन/पुलिस मुख्यालय स्तर पर उक्त महानुभावों की सुरक्षा को हटाये जाने को कोई निर्णय नहीं लिया गया है
सुरक्षा के सम्बन्ध में राज्य सुरक्षा समिति (SSRC) की बैठक शासन स्तर पर प्रस्तावित है। विभिन्न महानुभावों को सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में जनपदीय जीवन भय आंकलन समिति द्वारा उन्हें व्याप्त खतरों के सम्बन्ध में आंकलन कर आख्या मुख्यालय को प्रेषित की जाती है। तदोपरान्त जनपदीय समिति से प्राप्त आख्या शासन को प्रेषित की जाती है। जनपदीय समिति की संस्तुति के आधार पर ही सुरक्षा दिये जाने अथवा हटाये जाने के सम्बन्ध में शासन स्तर पर निर्णय लिया जाता है।
उपरोक्त पोस्ट के साथ सम्बन्धित महानुभावों की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी किसी आदेश की प्रति प्रसारित नहीं की गयी है, जिससे प्रतीत होता है कि चैनल के पत्रकार बन्धु को सुरक्षा सम्बन्धी पुलिस प्रक्रिया प्रणाली की जानकारी का नितान्त अभाव है, जिसके फलस्वरुप उनके द्वारा सोशल मीडिया पर उक्त तथ्यहीन/भ्रामक पोस्ट को प्रसारित किया गया है।
यदि किसी को सुरक्षा सम्बन्धी मानकों की जानकारी प्राप्त करनी है तो वह यथोचित कारण प्रस्तुत कर किसी भी कार्य दिवस में पुलिस मुख्यालय में उपस्थित होकर जानकारी प्राप्त कर सकता है।
जहां तक विवादास्पद लोगों की सुरक्षा को बरकरार रखने का सवाल है तो ऐसे व्यक्तियों की सूची को ठोस तथ्यपरक साक्ष्यों सहित सक्षम अधिकारियों/समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।
महानुभावों के सुरक्षा सम्बन्धी संवेदनशील प्रकरण पर बिना किसी ठोस तथ्य के सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट करना विधि विरुद्ध है। झूठी सूचना/अफवाह फैलाने के फलस्वरुप सम्बन्धित के विरुद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही भी अमल में लायी जा सकती है