पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की माफी कहीं त्रिवेंद्र पर ना पड़ जाए भारी!! बोला विपक्ष जब गैरसैण मे मातृशक्ति पर किया था लाठीचार्ज तब क्यों नहीं मांगी थी माफी??
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान से एक बार फिर उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में बेरोजगार युवाओं पर हुए लाठीचार्ज के लिए माफी मांगी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मैं पूर्व मुख्यमंत्री और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते माफी मांगता हूं।
हालांकि इस प्रकरण में पुलिस ने कुछ उपद्रवी तत्वों पर आरोप लगाया, जिन्होंने पुलिस पर पत्थरबाजी की। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। हालांकि सीएम धामी ने इस प्रकरण के बाद नकल विरोधी कानून लागू करने की दिशा में सख्त कदम उठाया और प्रदेश में अब देश का सबसे सख्त कानून लागू हो चुका है। इस बीच पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस प्रकरण को लेकर माफी मांगने के बाद एक बार फिर मामला गरमा गया है। त्रिवेंद्र के माफी मांगने पर अब त्रिवेंद्र सरकार में गैरसेंण में हुए लाठीचार्ज का मुद्दा भी गरमा गया है। त्रिवेंद्र सरकार के समय भी गैरसेंण कूच कर रहे कांग्रेसी और अन्य लोगों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया था। ऐसे में त्रिवेंद्र अब विपक्ष के निशाने पर भी आ गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के देहरादून में धामी सरकार के बेरोजगारों पर किए गए लाठीचार्ज पर माफी मांगने वाले बयान पर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने तंज कसा है।
दसोनी ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत की अंतरात्मा आज अचानक कैसे जाग गई या फिर इस बयान का मतलब किसी पर अप्रत्यक्ष चोट करना है??दसौनी ने कहा कि त्रिवेंद्र का बयान चौंकाने वाला है क्योंकि जब त्रिवेंद्र रावत सूबे के मुख्यमंत्री थे तो गैरसैण में मात्र एक सड़क चौड़ीकरण की मांग को लेकर 90 दिनों से ज्यादा आंदोलनरत मातृशक्ति पर दिसंबर की ठंड में वाटर कैनन छोड़े गए और लाठीचार्ज किया गया परंतु उस वक्त चौतरफा घिरने के बाद भी त्रिवेंद्र रावत ने प्रदेश की जनता और मातृशक्ति से अपनी करनी के लिए कोई क्षमा नहीं मांगी ,बल्कि उल्टा धृतराष्ट्र की तरह चुप्पी साध कर बैठ गए।
दसोनी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान पर व्यंग करते हुए कहा की आज त्रिवेंद्र रावत स्वयं को जिम्मेदार नागरिक भी कह रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी सफाई भी दे रहे हैं परंतु शायद वह अपने पुराने दिन भूल गए जब युवाओं को न नौकरी मिल रही थी न स्वरोजगार के कोई अवसर थे और बेरोजगारों के घाव पर नमक छिड़कने के लिए समय-समय पर बस समाचार पत्रों में मात्र नौकरियों की खबरें छपा करती थी ।
कोरोनाकाल में चार लाख से ज्यादा युवा रिवर्स पलायन करके प्रदेश में पहुंचे त्रिवेंद्र रावत उनका विश्वास भी जीत पाने में सफल नहीं हुए और करो ना समाप्त होते ही वह सभी युवा उत्तराखंड छोड़कर लौट गए ।