उत्तराखंड में जब से भर्ती घोटाले की पोल खुली है तब से वो ढोल पीट पीट कर लोगों को ये यकीन दिलाने में जुटे हैं कि इस घोटाले से उनका कोई वास्ता नहीं है…!!

उत्तराखंड में  जब से भर्ती घोटाले की पोल खुली है तब से सुना है  एक पूर्व    ढोल पीट पीट कर लोगों को ये यकीन दिलाने में जुटे हैं कि इस घोटाले से उनका कोई वास्ता नहीं है…

 

 

उत्तराखंड के  गठन के बाद से ही उत्तराखंड  राज्य  अनेकों राजनीतिक चुनौतियों और राजनीतिक उठापटक का सामना करना पड़ा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता ..

और इस राजनीतिक उठापटक के खेल ने न केवल उत्तराखंड के लोगों के मन में निराशा का वातावरण पैदा किया बल्कि उत्तराखंड के विकास को भी खूब  प्रभावित किया और यही वजह रही की  जन सरोकारी कार्यों की रफ़्तार   काफी  हद तक धीमी हुई..

और इस सबके कारण प्रदेश के आम जनमानस के बीच से निरंतर एक ऐसे नेतृत्व की मांग उठती रही जो सशक्त हो, जिसमें फैसले लेने की क्षमता हो, जिसकी नीति स्पष्ट हो जिसके लिए प्रदेश का सर्वांगीण विकास प्राथमिकता हो।

और अंततः ये तलाश पुष्कर सिंह धामी पर आकर समाप्त हुई जिन्होंने अपने छोटे से कार्यकाल में उपरोक्त सभी कसौटियों पर खरा उतरते हुए भाजपा को उत्तराखंड में ऐतिहासिक जीत दिलाई।

सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे पुष्कर सिंह धामी की राह, जनता से मिले अभूतपूर्व समर्थन से भले ही सुगम हो गई हो लेकिन जबसे वे मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हैं उनकी राह में कांटें बिछाने का काम उनकी पार्टी के ही कुछ स्वनामधन्य नेता कर रहे हैं ये  सुना जाता है

सीएम धामी ने जब से भ्रष्टाचार और अनियमिताओं के खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ा है तब से भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं के  पेट में दर्द बढ़ गया है!!! इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम राज्य के पूर्व    का है!!!!   जब से भर्ती घोटाले की पोल खुली है वे  ढोल पीट पीट कर लोगों को ये यकीन दिलाने में जुटे हैं कि इस घोटाले से उनका कोई वास्ता नहीं है, जबकि अब प्रदेश का बच्चा-बच्चा जान चुका है कि हाकम सिंह का असली हाकिम कौन है!!!   भाजपा के आला नेता  दा के कारनामों से पहले से ही भली-भांति परिचित हैं और सूत्र बताते हैं कि सर्वोच्च स्तर पर उन्हें किसी भी प्रकार का संरक्षण ना देने का  फैसला लिया गया है,जिससे वे काफी परेशान बताए जा रहे हैं।

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इस सबके बीच दिल्ली में अपनी दाल ना गलती देख  दा ने दूसरे पैंतरे चले और अपने कुछ पिछलग्गू कर्मियों की मार्फ़त धामी सरकार पर आधारहीन हमले शुरू करवा दिए।

इनमें अधिकतर वो हैं जिन्होंने उनकी   जमकर मलाई चाटी और जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। इतना ही नहीं हाल ही में जब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की तो तब भी उनके कैंप ने इस मीटिंग को लेकर अनर्गल ख़बरें ‘प्लांट’ करवाना शुरू कर दिया। सुना  है कई  ने तो यहां तक बताया कि उन्हें बाकायदा पूर्व   की तरफ से फोन किया गया और धामी की दिल्ली यात्रा को लेकर झूठी और भ्रामक ख़बरें छापने को कहा गया।

सीएम धामी की लोकप्रियता का ग्राफ़ लगातार तेजी से बढ़ रहा है। बेहद कम समय में, उन्होंने ये प्रमाणित किया है कि आखिर उत्तराखंड में क्यों  प्रधानमंत्री मोदी ने बहुतेरे वरिष्ठ नेताओं को छोड़कर युवा धामी पर भरोसा किया। धामी अनेक बार स्पष्ट कर चुके हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके कदम ना थकेंगे और ना वे अपने अभियान को अब थामेंगे ,चाहे भ्रष्टाचारी का कद और पद कितना ही बड़ा हो।

इस सबके बीच प्रदेश में कराए गए कई अनौपचारिक सर्वे भी यही बात कह रहे हैं कि सीएम धामी का वर्किंग स्टाइल लोगों को पसंद आ रहा है और समाज के हर वर्ग ने मुख्यमंत्री के कामकाज को सराहा है। आज प्रदेश में ये धारणा तेज़ी से बढ़ रही है कि धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड निश्चित ही विकास के नए आयाम छुएगा। जनता का ये विश्वास ही मुख्यमंत्री की स्थिति को सशक्त बनाए हुए है जबकि इससे उनके तमाम विरोधी पस्त हुए हैं।

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अब देखना ये है  कि इस सबके बीच सीएम धामी कैसे उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ बनाने के अपने लक्ष्य में कामयाब हो पाते हैं।

 

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