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6 सितंबर 1968 को नैनीताल के झलुवा झाला(कालाढूंगी) में जन्मे सुरेश भट्ट हो सकते है उत्तराखण्ड के अगले मुख्यमंत्री! पढ़िए उनका पूरा राजनीतिक करियर

6 सितंबर 1968 को नैनीताल के झलुवा झाला(कालाढूंगी) में जन्मे
सुरेश भट्ट हो सकते है उत्तराखण्ड के अगले मुख्यमंत्री! पढ़िए उनका पूरा राजनीतिक करियर

 

उत्तराखंड: सुरेश भट्ट बनाये जा सकते है उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री !!!!

 

आपको बता दे इस समय सुरेश भट्ट उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री है।

गौरतलब है कि सुरेश भट्ट इससे पहले हरियाणा में भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) का पद संभाल रहे थे।

जीवन परिचय और राजनीतिक सफर 

सुरेश भट्ट का जन्म  6 सितंबर 1968 को नैनीताल के झलुवा झाला(कालाढूंगी) में हुआ।

उनके पिता का नाम स्वर्गीय प्रेम बल्लभ और मां का नाम पार्वती देवी है। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज लोहाघाट से और रा.इ.उ. माध्यमिक विद्यालय पंतस्थली सुनोड़ा में कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने एकीकृत छात्रवृत्ति की परीक्षा उत्तीर्ण कर रा.इ.का. अल्मोड़ा में छात्रावास में रहकर कक्षा नौ से 10 वीं तक की पढ़ाई पूरी की।

उच्चतर शिक्षा
उन्होंने 1986 में बीए स्नातक और 1988 में एमए स्नातकोत्तर के साथ ही 1992 में वि.धि लॉ स्नातक की परीक्षा कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के अल्मोड़ा कैंपस (वर्तमान में विश्वविद्यालय का दर्जा) से पूरी की।
छात्र राजनीति में रहे सक्रिय 
सुरेश भट्ट 1986 में स्नातक की पढ़ाई करते समय अल्मोड़ा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से छात्र राजनीतिक में सक्रिय हुए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अल्मोड़ा जिले के जिला प्रमुख का दायित्व निभाते हुए अनेक छात्र आंदोलनों का नेतृत्व किया। 

छात्रसंघ अध्यक्ष रहे 
1992 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें छात्रसंघ चुनाव का प्रत्याशी बनाया और वे जीते भी। इससे पहले छात्र राजनीति में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का इतना दबदबा नहीं था। इसी दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से ही आरएसएस के संपर्क में आए। वहीं से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और आरएसएस के काम में जुट गए।  
संघ के पूर्णकालिक प्रचारक 

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1993 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक नैनीताल में संपन्न हुई। इस बैठक की तैयारी के लिए तीन माह विस्तारक निकलने का तय किया। उस समय अपना केंद्र काशीपुर बनाकर विस्तारक की भूमिका निभाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में दायित्व
1994 से 1996 तक मुरादाबाद में विभाग संगठन मंत्री रहे। 1996 से 1999 तक बरेली में संभाग संगठन मंत्री और प्रदेश मंत्री रहे। 1999-2003 तक आगरा में राष्ट्रीय मंत्री व प्रांत सह संगठन मंत्री के रूप में दायित्व का निर्वाह किया। 2003 में काशी (वाराणसी) राष्ट्रीय मंत्री और प्रदेश संगठन मंत्री बनाया गया 2006-2008 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री बने। 2008-2010 तक लखनऊ रहते हुए क्षेत्रीय संगठन मंत्री का दायित्व निभाया। 

भाजपा में दायित्व
जनवरी 2011 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भाजपा में भेजा गया और हरियाणा में भाजपा का प्रदेश संगठन महामंत्री का दायित्व दिया गया। उस समय हरियाणा में भाजपा के विधानसभा में केवल चार विधायक थे। सांसद एक भी नहीं था। हरियाणा में संगठन को मजबूती प्रदान करते हुए 2014 में हरियाणा में 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। लोकसभा में 8 में से 7 सांसद जीते।
2019 में दूसरी बार हरियाणा में सरकार बनी सभी 10 सांसद जीते संगठन का विस्तार प्रत्येक बूथ तक किया।

आंदोलनों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका 
छात्र आंदोलन
छात्र राजनीतिक में रहते हुए अनेकों सफल छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री रहते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन किया। बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ चिकन नेक किशनगंज(बिहार) में हजारों छात्रों की विशाल रैली का नेतृत्व किया।

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उत्तराखंड राज्य आंदोलन में

पृथक उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। खटीमा और मुजफ्फरनगर गोली कांड के बाद आंदोलन में शहीद हुए लोगों की अस्थियों को लेकर पूरे कुमाऊं में अस्थि कलश यात्रा निकाली, जिसने पूरे उत्तराखंड में व्यापक आंदोलन का स्वरूप लिया। यह यात्रा उत्तराखंड राज्य आंदोलन में एक मील का पत्थर साबित हुई।

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