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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा आपदा प्रबंधन ओर बचाव कार्य मे फेल रही धामी सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा आपदा प्रबंधन ओर बचाव कार्य मे फेल रही धामी सरकार


 

साधा राज्य सरकार पर निशाना घेरी आपदा प्रबंधन के मुद्दे पर राज्य सरकार

 

 

पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक बार फिर सरकार पर निशाना साधते हुए साफ कहा कि सरकार आपदा प्रबंधन में फेल हो गई है उनके अनुसार मैंने साफ कहा कि मैंने कहा था कि 5 दिन में आपदा राहत में तेजी लाए वरना हम आंदोलन करेंगे

 

वही हरीश रावत ने साफ कहा कि सरकार के मंत्री , विधायक और कार्यकर्ता लगातार कह रहे हैं कि आपदा प्रबंधन का कार्य वही तक शामिल है जहाँ तक सरकार का हैलीकॉप्टर था , उनके अनुसार इतने दिन बीत जाने के बावजूद भी आर्थिक राशि तक नहीं बांटी गई है ।
हरीश रावत ने कहा कि देश के गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा था कि उत्तराखंड में आपदा के हालातो को लेकर 36 घंटे पहले जानकारी दे दी गई थी लेकिन फिर भी सरकार क्यों सोई रही इनके अनुसार कांग्रेस ने आपदा के कुप्रबंधन को लेकर अपने एक सीएम को हटा दिया था लेकिन बीजेपी में ऐसा कुछ नही हुआ
हरीश रावत ने कहा कि आपदा प्रभावित इलाकों में अभी भी हालत खराब हैं मवेशी सड़ रहे है उन्हें उठाने वाला कोई नही है इसके अलावा नाले भी चोक हैं खोलने वाला कोई नहीं ओर अगर ये हालात रहे तो उत्तराखंड में डेंगू के बड़े खतरा का सामना
करना पड़ा सकता है
आखिर क्यों अभी तक दबी लाशो तक को नही हटाया गया है
हरीश रावत बोले केंद्रीय दल दौरा कर रहा है अच्छी बात है लेकिन जिलो के डीएम क्यों मदद नही कर रहे हैं
उनके अनुसार जिला प्रशासन ने लंगर तक का प्रबंध नही किया गया है ।

यह भी पढ़ें -  पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का आरोप आचार संहिता लगने के बाद भी बैक डेट में ट्रांसफर्स हो रहे हैं, प्रवक्ताओं और शिक्षकों के पदों पर बड़ी मात्रा में RSS से जुड़े हुए लोगों के ट्रांसफर्स हुये हैं ,मैं इलेक्शन कमीशन उत्तराखंड के संज्ञान में लाना चाहता हूंँ

 

हरीश रावत बोले की आपदा में कांग्रेस जो कर रही है बीजेपी वाले बस उसे ही फॉलो कर रही है

हरीश रावत ने साफ तौर पर कहा कि हमने अपनी सरकार के दोरान आपदा के मुआवजे को लेकर भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए थे जिससे जनता को राहत थी लेकिन बीजेपी सरकार ने वो भी कम दे रही है
मानव नुकसान के लिए कम के कम 10 लाख रुपये देने चाहिए


उसी हिसाब से पशुओं के नुकसान के साथ साथ फसलों के नुकसा का भी आकलन होना चाहिए

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