विश्व हिंदू परिषद- बजरंग दल ने मनाया अखंड भारत संकल्प दिवस
बजरंग दल महानगर देहरादून की ओर से आज दिनांक 13 अगस्त शुक्रवार को घंटाघर स्थित हनुमान मंदिर के प्रांगण में अखंड भारत संकल्प दिवस का कार्यक्रम जो कि 14 अगस्त को मनाया जाता था उसको एक दिन पूर्व मनाया गया । क्योंकि प्रांत स्तर की बड़ी बैठक हरिद्वार में होने के चलते। पूरे प्रदेश में अखंड भारत के कार्यक्रमों को 13 अगस्त दिनांक तय की गई । इस कार्यक्रम के तहत हनुमान मंदिर घंटाघर पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने अखंड भारत संकल्प दिवस के लिए युवाओं को बताया कि किस प्रकार भारत के लिए अखंड भारत आवश्यक है और कहां-कहां तक भारत की सीमाएं फैली थी
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्व हिंदू परिषद प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान रविदेव आनंद व बजरंग दल प्रांत संयोजक अनुज वालियां के द्वारा मां भारती के अखंड स्वरूप के आगे दीप प्रज्वलित कर किया गया
मुख्य बौद्धिक वक्ताओ में अनुज वालियां जी ने युवाओं को बताया
अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा है, निष्ठा है. जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर “समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्वमे. “कहकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंत:करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं, अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं? किन्तु लक्ष्य के शिखर पर पहुंचने के लिये यथार्थ की कंकरीली-पथरीली, कहीं कांटे तो कहीं दलदल, कहीं गहरी खाई तो कहीं रपटीली चढ़ाई से होकर गुजरना ही होगा. उन्होंने कहा
15 अगस्त को हमें आजादी मिली और वर्षों की परतंत्रता की रात समाप्त हो गयी. किन्तु स्वातंत्र्य के आनंद के साथ-साथ मातृभूमि के विभाजन का गहरा घाव भी सहन करना पड़ा. 1947 का विभाजन पहला और अन्तिम विभाजन नहीं है. भारत की सीमाओं का संकुचन उसके काफी पहले शुरू हो चुका था. सातवीं से नवीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ साल तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लाम के पेट में समा गया. हिमालय की गोद में बसे नेपाल, भूटान आदि जनपद अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण मुस्लिम विजय से बच गये. अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिये उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता का मार्ग अपनाया पर अब वह राजनीतिक स्वतंत्रता संस्कृति पर हावी हो गयी है. श्रीलंका पर पहले पुर्तगाल, फिर हॉलैंड और अन्त में अंग्रेजों ने राज्य किया और उसे भारत से पूरी तरह अलग कर दिया. किन्तु मुख्य प्रश्न तो भारत के सामने है. तेरह सौ वर्ष से भारत की धरती पर जो वैचारिक संघर्ष चल रहा था, उसी की परिणति 1947 के विभाजन में हुई. पाकिस्तानी टेलीविजन पर किसी ने ठीक ही कहा था कि जिस दिन आठवीं शताब्दी में पहले हिन्दू ने इस्लाम को कबूल किया, उसी दिन भारत विभाजन के बीज पड़ गये थे.
बजरंग दल विभाग संयोजक विकास वर्मा ने कहा
वर्तमान व भविष्य में भी ।
हिंदू युवा अखंड भारत के महत्व को समझें इसी को लेकर यह कार्यक्रम हर वर्ष विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ करते हैं। और हिंदू राष्ट्रभक्त युवाओं को इस दिन पर स्मरण दिलाते हैं । की वह आज के दिन संकल्प लें कि की मां भारती के वैभव को हम पूर्व स्थापित करेंगे और जम्मू दीप भारतवर्ष की उस पवित्र कल्पना को साकार करेंगे जो पूर्व में साकार और सत्य थी
सभी युवा इस अखंड भारत के पवित्र विचार को अपने मस्तिष्क में उतारकर सदैव इस पवित्र कल्पना के लिए उसको साकार करने के लिए तन,मन,धन से प्रयासरत रहेंगे ।और यही विचार ह्रदय में रखेंगे कि जिस हिंदुस्तान मे हम वास कर रहे हैं।वह भारतवर्ष जम्बूदीप का एक टुकड़ा मात्र है। और हमें पूरे भारतवर्ष पर विजय प्राप्त करनी होगीऔर वह विजय विचारों की होगी हिंदू अस्मिता की होगी हिंदू राष्ट्र की होगी ।
प्रदेश अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद श्रीमान रविदेव आनंद ने कहा कि
देश का विभाजनकारी परंपरा को जन्म देने वाले कौन लोग थे आज समय आ गया है उन लोगों के वंशजों को और वर्तमान में उन लोगों के आगे की पीढ़ी को चिन्हित कर देशद्रोही घोषित किया जाए। और उन सब से सवाल पूछा जाए आखिर क्यों हिंदुओं को भारतवर्ष में दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा
हमें यह तो स्वीकार करना ही होगा कि भारत का विभाजन हिन्दू-मुस्लिम आधार पर हुआ. पाकिस्तान ने अपने को इस्लामी देश घोषित किया. वहां से सभी हिन्दू-सिखों को बाहर खदेड़ दिया. अब वहां हिन्दू-सिख जनसंख्या लगभग शून्य है. भारतीय सेनाओं की सहायता से बंगलादेश स्वतंत्र राज्य बना. भारत के प्रति कृतज्ञतावश चार साल तक मुजीबुर्रहमान के जीवन काल में बंगलादेश ने स्वयं को पंथनिरपेक्ष राज्य कहा किन्तु एक दिन मुजीबुर्रहमान का कत्ल करके स्वयं को इस्लामी राज्य घोषित कर दिया. विभाजन के समय वहां रह गये हिन्दुओं की संख्या 34 प्रतिशत से घटकर अब 8 प्रतिशत से कम रह गई है और बंगलादेश भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बन गया है. करोड़ों बंगलादेशी घुसपैठिये भारत की सुरक्षा के लिये भारी खतरा बन गये हैं.
इसके बावजूद आज भी देश में कितने ही ऐसे राजनीतिक संगठन बैठे हैं जो इन बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के प्रति एक ऐसा मानवतावादी विचार प्रकट करते हैं जहां देश के रहने वाले 137 करोड लोगों की संसाधनों पर घुसपैठिए अपना अधिकार जमा रहे हैं । क्या यह देश के करोड़ों लोगों के साथ अन्याय नहीं जो उनके अधिकारों को फिर देश में ही रहकर बांटा जा रहा है।
देश फिर से एक करने के लिये जिन कारणों से मनों में दरार पैदा होती है, उन कारणों को दूर करना आवश्यक है. यह आसान काम नहीं है. धार्मिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय शक्तियां सभी बाधाओं के रूप में खड़ी हैं. लेकिन क्या मुसलमानों और हिन्दुओं में सांस्कृतिक एकता का कोई प्रवाह है? हिन्दुओं और मुसलमानों के पुरखे एक हैं, उनका वंश एक है. ये मुसलमान अरबी, तुर्की या इराकी नहीं हैं. हिन्दू एक जीवन-पद्धति है और इसे पूर्णत: त्यागना हिन्दू से मुसलमान बने आज के मुसलमानों के लिये भी संभव नहीं है.
सैन्य सामर्थ्य भारत के पास है. लेकिन क्या पाकिस्तान पर जीत से अखंड भारत बन सकता है? जब लोगों में मनोमिलन होता है, तभी राष्ट्र बनता है. अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक है, न की सैन्य कार्रवाई या आक्रमण. देश का नेतृत्व करने वाले नेताओं के मन में इस संदर्भ में सुस्पष्ट धारणा आवश्यक है. भारत की अखंडता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में है. खंडित भारत में एक सशक्त, एक्यबद्ध, तेजोमयी राष्ट्रजीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ना संभव होगा.
कार्यक्रम उपस्थिति में विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष दर्शन लाल भम्म, मंत्री राजेंद्र राजपूत, महानगर उपाध्यक्ष नवीन गुप्ता, बजरंग दल विभाग संयोजक विकास वर्मा, आशीष बलूनी, हरीश कोहली, श्याम शर्मा, राजेश सिंह उमेश चांदना,गिरीराज पाल,राजीव बर्थवाल , विकास शर्मा, अनिल मेसोन, विक्की मान, राशिराम वर्मा ,शुभम चौहान, विशाल चौधरी, अजय अरोड़ा, प्रवेश प्रजपति, शुभम , सुमित गुप्ता , शिवालिक थापा, सागर तिवारी व अन्य लोगों ने भागीदारी की