
देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा है कि “क्या तथ्य परक सत्य कहना गुनाह है? हाँ है, जब भाजपा जैसा राजनैतिक दल देश में प्रभावी हो। मुझे भाजपा के दोस्त यह बताएं कि क्या उत्तर भारत के कई राज्यों और दक्षिण के राज्यों के बीच में कार्य संस्कृति में भारी अंतर नहीं है?
क्या यह सत्य नहीं है कि जितने भी ह्यूमन इंडेक्स हैं उनमें दक्षिण भारत के राज्यों ने उत्तर भारत के राज्यों से बेहतर काम किया है?
क्या यह सत्य नहीं है कि जनसंख्या नियंत्रण में धार्मिक विवाद के प्रपंच में न फंसकर दक्षिण भारत के सभी धर्मों के लोगों ने परिवार नियंत्रण का पालन किया है?
क्या यह सत्यता नहीं है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दक्षिण भारत के राज्य, उत्तर प्रदेश से बहुत बेहतर काम कर रहे हैं?
क्या यह सत्यता नहीं है कि गरीबी-अमीरी के बीच की खाई को पाटने में दक्षिण के राज्य, उत्तर भारत के राज्यों से काफी आगे खड़े हैं! और भी बहुत सारे उदाहरण दिये जा सकते हैं और यदि कोई अच्छा कर रहा है तो उसकी तारीफ कर दी, तो उसमें आपको उत्तर और दक्षिण कहां से दिखाई देने लग गया! और जब हम ऐसा कहते हैं तो हम इस बात को भी तो स्वीकार करते हैं कि उत्तर भारत के राज्य पिछड़े रह गये, इसमें सभी राजनीतिक दलों का दोष है और आज भी वो गलतियाँ हो रही हैं, उसको स्वीकार करने के बजाय आप दनादन फिर अपने डिविजिव (बांटने) के एजेंडे में लग गये, लोगों के मन में कैसे ही हो नफरत की खाई पैदा करो, उस एजेण्डे पर जुट गये।